औद्योगिक सम्बन्ध का परिचय
औद्योगिक संगठन एक मानवीय संगठन है। इसके उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए यह आवश्यक है, कि औद्योगिक संगठन में कार्यरत सभी मानवीय समूह एक-दूसरे से सम्बन्धित हों एवं आपसी सहयोग से कार्य करें। औद्योगिक सम्बन्ध, औद्योगिक अर्थव्यवस्था की देन हैं।
औद्योगिक सम्बन्ध एक प्रकार का व्यावसायिक संबंध होता है जिसमें विभिन्न उद्योगों या व्यवसायों के बीच संयोजन, सहयोग, विनिमय और संचालन के प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं। इन सम्बन्धों में विभिन्न उद्योगों और व्यवसायों के बीच संसाधनों की साझा उपयोगन, तकनीकी ज्ञान और अन्य संसाधनों के साथ एक साथ काम करने का प्रयास किया जाता है। औद्योगिक सम्बन्ध आर्थिक लाभ के साथ-साथ साझा रिस्क को भी संभालते हैं और उद्योगीय विकास और सहयोग की दिशा में मदद करते हैं। ये सम्बन्ध आमतौर पर उत्पादन, विपणन, प्रौद्योगिकी विकास, और अन्य सामूहिक गतिविधियों में दिखाई देते हैं।
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साधारणतया औद्योगिक सम्बन्धों का अर्थ उन सभी प्रकार के सम्बन्धों से हैए जो कि औद्योगिक वातावरण में विद्यमान होते हैं I औद्योगिक अर्थव्यवस्था ने समाज को नियोक्ता एवं श्रमिक वर्ग में विभाजित कर दिया हैए श्रमिक वर्ग का प्रतिनिधित्व श्रम संघ के द्वारा एवं नियोक्ता का प्रतिनिधित्व प्रबन्ध वर्ग के द्वारा किया जाता है ।
औद्योगिक सम्बन्धों का अर्थ श्रमिकों एवं प्रबन्धकों के मध्य सम्बन्धों अथवा श्रम संघों एवं नियोक्ता संगठन के मध्य सम्बन्धों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है ।
इस प्रकार नियोक्ता वर्ग एवं श्रमिक वर्ग के अस्तित्व के बिनाए यह सम्बन्ध स्थापित नहीं हो सकते । अत: औद्योगिक सम्बन्धों का अस्तित्व एक औद्योगिक संस्था अथवा संगठन के बिना भी सम्भव नहीं है ।
औद्योगिक सम्बन्धों की उत्पत्ति औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप हुई है । औद्योगिक क्रान्ति के प्रारम्भ में नियोक्ता एवं श्रमिकों में प्रत्यक्ष एवं व्यक्तिगत सम्बन्ध होता था । दोनों पक्षों में प्रत्यक्ष सम्बन्धों के कारण औद्योगिक सम्बन्धों की समस्या न के बराबर थी ।
औद्योगीकरण एवं बड़े पैमाने पर उत्पादन के कारण दोनों पक्षों में यह प्रत्यक्ष सम्बन्ध समाप्त हो गए । प्रारम्भ में सरकार भी इन सम्बन्धों में हस्तक्षेप नहीं करती थी । इसके परिणामस्वरूप कई औद्योगिक बुराइयोंए जैसे कि कम मजदूरी कार्य के अधिक घण्टेए कार्य की दशाओं का खराब होनाए स्त्री एवं बाल मजदूरों का शोषण एवं श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार आदि का जन्म हुआ ।
अत: श्रमिकों ने अपने हितों की रक्षा के लिए स्वयं को संगठित किया एवं श्रम संघों का उदय हुआ । अपने हितों की पूर्ति के लिए श्रमिक हड़तालों एवं नियोक्ता तालाबन्दी का सहारा लेने लगे ।
इसके परिणामस्वरूप औद्योगिक संघर्षों में तेजी से वृद्धि हुई एवं उसका देश की आर्थिक सामाजिक एवं राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा । आज सरकार इन सम्बन्धों के नियन्त्रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है ।
इस प्रकार औद्योगिक सम्बन्ध अब केवल श्रम और प्रबन्ध के बीच सम्बन्ध नहीं रह गया हैए बल्कि सरकार अथवा राज्य भी इसमें एक महत्वपूर्ण पक्षकार हैं । अतरू औद्योगिक सम्बन्धों को श्रमए प्रबन्ध एवं सरकार के जटिल अन्तर्सम्बन्धों के रूप में व्यक्त किया जा सकता है ।
औद्योगिक सम्बन्ध की पृष्ठभूमि
औद्योगिक सम्बन्ध आर्थिक और व्यापारिक संबंध होते हैं जो विभिन्न उद्योगों और व्यवसायों के बीच संयोजन, सहयोग, विनिमय और संचालन की प्रक्रियाओं को संभालते हैं। ये संबंध विभिन्न श्रेणियों में प्रकट हो सकते हैं, जैसे कि उत्पादन, प्रौद्योगिकी विकास, विपणन, और सेवा प्रदान किस्मों में।
इन सम्बंधों की पृष्ठभूमि में कुछ मुख्य अंश हैं:
- औद्योगिक क्रांति: औद्योगिक सम्बन्धों की विकास की प्रक्रिया उद्योगीकरण और औद्योगिक क्रांति के साथ जुड़ी है, जो नवीनतम प्रौद्योगिकी और विनिमय प्रक्रियाओं के उपयोग से आविष्कृत हुआ है।
- वैशिष्ट्यकरण: विभिन्न उद्योगों की विशेषता और विशिष्टता के कारण औद्योगिक सम्बन्ध उनके उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता और प्रतिष्ठा को बढ़ावा देते हैं।
- आर्थिक विकास: औद्योगिक सम्बन्ध आर्थिक विकास और वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं क्योंकि ये सम्बन्ध विभिन्न स्तरों पर निवेश, उत्पादन, और रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं।
- ग्लोबल सहयोग: औद्योगिक सम्बन्ध अक्सर विभिन्न देशों और क्षेत्रों के बीच विश्वासमूल्य सहयोग को बढ़ावा देते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है।
- सामूहिक उपयोगन: औद्योगिक सम्बन्धों के माध्यम से संसाधनों का सामूहिक उपयोग किया जा सकता है, जो सामुदायिक विकास और सामाजिक सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण होता है।
इन सभी प्रभावी तत्वों के संयोजन से, औद्योगिक सम्बन्ध आर्थिक विकास और ग्लोबल उद्यमिता की समर्थ प्रोत्साहन के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
औद्योगिक सम्बन्ध की परिभाषा
औद्योगिक सम्बन्ध की महत्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं
औद्योगिक सम्बन्धों की अवधारणा राज्य तथा नियोक्ता के सम्बन्धोंए श्रमिकों एवं उनके संगठनों का विस्तृत वर्णन है । इसलिए इस विषय के अन्तर्गत व्यक्तिगत सम्बन्धए श्रमिकों एवं नियोक्ता के बीच कार्य, स्थल पर सामूहिक विचार, विमर्श नियोक्ता एवं उनके संगठनों तथा श्रम, संघों के बीच सामूहिक, सम्बन्धों तथा इन सम्बन्धों के नियन्त्रण में सरकार की भूमिका शामिल है ।
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका
औद्योगिक सम्बन्धों से आशय प्रबन्ध एव कर्मचारियों अथवा कर्मचारियो एवं उनके संगठनों के बीच उन सम्बन्धों से है जो रोजगार से उत्पन्न होते हैं।
डेल योडर
औद्योगिक सम्बन्ध नियोक्ताओं और कर्मचारियों की पारस्परिक अभिवृत्तियों, (Attitudes) एवं विचारधाराओ (Approaches)। चचतवंबीमेद्ध का संयुक्त परिणाम है जिसे संगठन की क्रियाओं में न्यूनतम मानवीय प्रयत्नों व मतभेदए सहयोग की तव्र.भावना सेए संगठन के सभी सदस्यों के उचित हितों को ध्यान में रखते हुए नियोजनए पर्यवेक्षणए निर्देशन और समन्वय हेतु अपनाया जाता है” ।
टीड एवं मेटकाफ
औद्योगिक सम्बन्ध और सेविवर्गीय सम्बन्ध पर्यायवाची शब्द हैं किन्तु केवल इन अन्तर के साथ औद्योगिक सम्बन्धों में अच्छे सम्बन्धों को बढ़ावा देने के लिए कर्मचारी सम्बन्धों पर अधिशासकीय नीतियों एवं क्रियाओं की तुलना में अधिक जोर दिया जाता है।
ई.एफ.एल. ब्रीच
औद्योगिक सम्बन्ध प्रबन्ध का वह अंग है जो कि संगठन की मानव.शक्ति से सम्बन्धित हैए चाहे वह मानव.शक्ति मशीन को चलाने वाली हो अथवा कुशल श्रमिक अथवा प्रबन्धक।
बीथलए स्मिथ एवं अन्य
औद्योगिक सम्बन्ध श्रमिकोंए प्रबन्धकों तथा राज्य के बीच पारस्परिक सम्बन्धों की जटिलता को कहते हैं ।
जॉन टी. डनलप
औद्योगिक सम्बन्धों की 20 प्रमुख विशेषताएँ:
- विभिन्नता: औद्योगिक सम्बन्ध विभिन्न उद्योगों और क्षेत्रों के बीच समृद्धि और विकास की संभावना प्रदान करते हैं।
- साझा रिस्क: सम्बन्धों के माध्यम से उपादकों के बीच विभिन्न प्रकार के आर्थिक और प्रौद्योगिकी रिस्क साझा किए जा सकते हैं।
- सहयोग और विनिमय: औद्योगिक सम्बन्ध से विभिन्न उद्योगों के बीच विनिमय, सहयोग, और तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान हो सकता है।
- समृद्धि की गति: औद्योगिक सम्बन्धों से उत्पादकता में वृद्धि, नवाचार, और प्रौद्योगिकीकरण की गति बढ़ सकती है।
- विशेषज्ञता का सहयोग: विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता का सहयोग करने के माध्यम से उद्योगिक सम्बन्धों से स्थायित प्रगति हो सकती है।
- उत्पादन वृद्धि: विभिन्न उद्योगों के सहयोग से उत्पादन में वृद्धि हो सकती है, जिससे आर्थिक समृद्धि बढ़ सकती है।
- अधिगम प्रौद्योगिकियों की साझा: औद्योगिक सम्बन्धों से उपयुक्त प्रौद्योगिकियाँ साझा की जा सकती हैं, जो नवाचार और तकनीकी विकास को प्रोत्साहित करते हैं।
- उत्पादकता की बढ़ोतरी: सम्बन्धों के माध्यम से उत्पादकता में बेहतरी और बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे उत्पादों की मांग को पूरा किया जा सकता है।
- अनुसंधान और विकास: विभिन्न उद्योगों के बीच सम्बन्धों से अनुसंधान और विकास को स्थायित किया जा सकता है, जिससे नई तकनीकियों और उत्पादों की खोज हो सकती है।
- आर्थिक लाभ: सम्बन्धों से आर्थिक लाभ हो सकता है क्योंकि उद्योगों के बीच सहयोग से अधिक मूल्ययोजना की जा सकती है।
- समाजिक सुधार: औद्योगिक सम्बन्ध से समाजिक सुधार और रोजगार के अवसर प्रदान किए जा सकते हैं, जिससे आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
- रोजगार के अवसर: उद्योगिक सम्बन्धों के माध्यम से नौकरियों के अवसर प्रदान किए जा सकते हैं, जिससे बेरोजगारी की समस्या को कम किया जा सकता है।
- आर्थिक विकास: सम्बन्धों के माध्यम से आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया जा सकता है क्योंकि उनसे उत्पादन और विपणन में सुधार होता है।
- संसाधन साझा करने की क्षमता: औद्योगिक सम्बन्धों से संसाधनों का साझा करने की क्षमता में वृद्धि हो सकती है, जिससे संसाधनों का सबसे अच्छे रूप से उपयोग किया जा सकता है।
- विकासशीलता की स्थिति: उद्योगिक सम्बन्ध से क्षेत्रों की विकासशीलता को स्थायित किया जा सकता है, जिससे विकास के प्रोत्साहन के लिए उद्यमिता प्राप्त होती है।
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार: औद्योगिक सम्बन्ध से अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित किया जा सकता है, जिससे देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ता है।
- सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी: सम्बन्धों से सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है, जिससे सुरक्षित और सामाजिक उत्पन्न हो सकता है।
- नवाचार और उत्पादन: उद्योगिक सम्बन्ध से नवाचार और उत्पादन में सुधार हो सकता है, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता और प्रतिष्ठा बढ़ सकती है।
- अनुसंधान और विकास: औद्योगिक सम्बन्धों से अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित किया जा सकता है, जिससे नए उत्पादों और सेवाओं की खोज हो सकती है।
- क्षेत्रों के सामूहिक विकास की दिशा में सहायक: औद्योगिक सम्बन्ध से क्षेत्रों के सामूहिक विकास की दिशा में सहायक भूमिका हो सकती है, जिससे सामाजिक और आर्थिक सुधार संभव होते हैं।