प्राथमिक और द्वितीयक समूह में अंतर 2023
Difference between Primary and Secondary Group
नमस्कार ! इस लेख में हम Primary यानि प्राथमिक और Secondary यानि द्वितीयक समूह के बीच प्रमुख अंतर के बारे में समझेगें. सोशियोलॉजी में, ये शब्द दो विभिन्न प्रकार के सामाजिक संबंधों को दर्शाते हैं जो हमारे जीवन में एक-दूसरे के साथ अंतःक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तो चलिए, हम इन दोनों प्रकार के समूहों के बीच के अंतर को समझतें हैं;
Table of Contents
1. Nature of Interaction (अंतःक्रियाओं की प्रकृति):
प्राथमिक समूहों की विशेषता उनके सदस्यों के बीच आपसी घनिष्ठता से होती है। प्राथमिक समूहों का मुख्य उद्देश्य मजबूत भावनात्मक संबंध बनाने, सदस्यों के बीच समझौते और एक-दूसरे से संबंधितपन की भावना को प्रोत्साहित करना है। परिवार और करीबी दोस्तों की उदाहरणें प्राथमिक समूहों के श्रेष्ठ उदाहरण हैं। जबकि द्वितीयक समूहों के बीच औपचारिक अवैयक्तिक बातचीत होता है। वे विशिष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति या कार्यों को संपन्न करने हेतु एक साथ आते हैं, और उनके रिश्ते अक्सर अधिक कार्य-उन्मुख और अस्थायी होते हैं। एक कार्यस्थल टीम या एक क्लब जिसमें आप किसी विशिष्ट रुचि के लिए शामिल होते हैं, द्वितीयक समूहों के उदाहरण हैं।
2. Group Size (समूह का आकार):
प्राथमिक समूह आम तौर पर छोटे होते हैं, जिनमें चुनिन्दा व्यक्तियों का समूह होता है। इस छोटे आकार के कारण, इनमें गहरे और सार्थक संबंध विकसित करने की संभावना होती है। जबकि द्वितीयक समूहों का आकार विभिन्न हो सकता है, जिसमें छोटे समूह से लेकर बड़े संगठन तक का समावेश होता है। क्योंकि द्वितीयक समूह आम तौर पर विशेष कार्यों के लिए बनाए जाते हैं, इनमें अधिक लोग शामिल हो सकते हैं।
3. Duration of Relationships (भावी संबंधों की अवधि):
प्राथमिक समूहों की एक प्रमुख विशेषता है उनकी दीर्घकालिक और टिकाऊ होने की। इन समूहों में संबंधों का समय-परीक्षण होता है और सदस्य बहुत दिनों तक जुड़े रह सकते हैं। जबकि, द्वितीयक समूह आम तौर पर अस्थायी होते हैं। सदस्य एक विशेष उद्देश्य या कार्य के लिए जुटते हैं और जब उद्देश्य पूर्ण हो जाता है, समूह विच्छेदित हो सकता है।
4. Emotional Intensity (भावनात्मक तीव्रता):
प्राथमिक समूहों को उनकी उच्च भावनात्मक तीव्रता के लिए जाना जाता है। सदस्यों के बीच के घनिष्ठ व व्यक्तिगत संबंध से उनमें भावनात्मक संबंधों का गहरा आभास होता है। प्राथमिक समूह के उदाहरण के रूप में आपके परिवार या करीबी दोस्तों हो सकते हैं । जबकि द्वितीयक समूहों में भावनात्मक तीव्रता कम होती है। क्योंकि उनके संवाद उद्देश्य-अभिमुखी होते हैं, सदस्यों के बीच इतनी गहरी भावनात्मक जुड़ाव का आभास नहीं होता है।
5. Purpose and Goals (उद्देश्य और लक्ष्य):
प्राथमिक समूहों का उद्देश्य विशेष रूप से भावनात्मक समर्थन, पहचान के भाव और सदस्यों के बीच संबंध की भावना को प्रदान करने पर होता है। ये समूह भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जबकि द्वितीयक समूह उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए बनाए जाते हैं। चाहे वह किसी परियोजना को पूरा करना हो, व्यापारिक लक्ष्य प्राप्त करना हो, या साझा रुचि का पीछा करना हो, अतः द्वितीयक समूह उद्देश्य-अभिमुखी होते हैं।
6. Influence on Identity (व्यक्तित्व पर प्रभाव):
प्राथमिक समूहों का व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव होता है। इन समूहों के संबंध और अनुभव भव्य रूप से सदस्यों के व्यक्तित्व और मूल्यों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्राथमिक समूह में सम्मिलित होने का एहसास और उसमें स्वीकृत होने का भाव व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव डालता है। वहीँ दूसरी ओर द्वितीयक समूहों में भी व्यक्तित्व पर प्रभाव होता है, लेकिन वह प्राथमिक समूहों की तुलना में कम होता है। क्योंकि ये समूह विशेष रूप से कार्य-अभिमुखी होते हैं, सदस्यों के व्यक्तित्व को पूरे रूप से समृद्ध नहीं करते हैं, लेकिन फिर भी कुछ प्रभाव होता है।
7. Communication (संचार):
प्राथमिक समूहों में संचार आम तौर पर अनौपचारिक, सीधा और व्यक्तिगत होता है। सदस्य आपसी संवेदनशील भाषा, भावनाएं व अनुभवों को साझा करते हैं। जबकि द्वितीयक समूह में संचार आम तौर पर औपचारिक और कार्य-अभिमुखी होता है। सदस्य उद्देश्यों और कार्यों को पूरा करने के लिए जानकारी विनीत तरीके से आपसी विनिमय करते हैं।
8. Social Control (सामाजिक नियंत्रण):
प्राथमिक समूह आम तौर पर समूह के अंदर व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण तंत्र का उपयोग करते हैं । इनमें साथियों का दबाव और साझा मूल्यों का पालन शामिल हो सकता है। जबकि द्वितीयक समूह गतिविधियों के समन्वय और व्यवस्था बनाए रखने के लिए औपचारिक सामाजिक नियंत्रण तंत्र, जैसे नियम, विनियम और पदानुक्रमित संरचनाओं पर अधिक भरोसा करते हैं।
9. Examples (उदाहरण):
परिवार, करीबी दोस्त, छोटे सामाजिक दायरे और एकजुट समुदाय प्राथमिक समूहों के सामान्य उदाहरण हैं। इसके विपरीत, कार्यस्थल टीमें, संगठन, क्लब और एसोसिएशन द्वितीयक समूहों के विशिष्ट उदाहरण हैं।
10. Impact on Behavior (व्यवहार पर प्रभाव):
प्राथमिक समूहों में गहरे भावनात्मक बंधन और सहयोग से सदस्यों के बीच सहयोग, विश्वास और समर्थन का विकास होता है। जबकि द्वितीयक समूहों में, उद्देश्यों और रुचियों के संयुक्त होने से सदस्यों को सक्रिय रूप से काम करने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि समूह के उद्देश्य प्राप्त हो सके। तो हमें उम्मीद है कि आपको प्राथमिक और द्वितीयक समूहों के बीच अंतर करने में समझ विकसित कराने में हम सफल हुये हैं । कितना सफल हुये हैं ये आप हमें कमेंट और लाइक करके बताइये धन्यवाद ।
FAQs
- समाजशास्त्र में प्राथमिक समूह क्या होता है? प्राथमिक समूह समाजशास्त्र में छोटे संख्यक सदस्यों का एक समूह होता है जो आपसी संबंधों और साझा संस्कारों से जुड़ा होता है।
- प्राथमिक समूह के उदाहरण क्या हैं? परिवार, मित्र-मंडल, छोटे गांवों के समूह, और समाज में संघर्ष करने वाले समूह इत्यादि प्राथमिक समूह के उदाहरण हो सकते हैं।
- प्राथमिक समूहों की मुख्य विशेषता क्या है? प्राथमिक समूहों में सदस्यों के बीच संबंध अत्यंत निकटता और भावुकता के साथ होते हैं। ये समूह आपसी आदर्शों और सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर बने होते हैं।
- प्राथमिक समूहों का महत्व क्या है समाजशास्त्र में? प्राथमिक समूह समाजशास्त्र में समाज के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन समूहों के अंतर्गत समाज के संरचना, संघर्ष, संघटना, और सामाजिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है।
- प्राथमिक समूहों के बंधन क्या होते हैं? प्राथमिक समूहों के बंधन आधारभूत और अनुभवित बनाने वाले होते हैं। इनमें विशेष संबंध, साझा मूल्य, और सामाजिक संस्कार शामिल होते हैं जो समूह के सदस्यों को एक साथ बाँधते हैं।
- समाजशास्त्र में द्वितीयक समूह क्या है? द्वितीयक समूह एक बड़े सामाजिक समूह है जहां संवाद और अनुशासनअधिक प्रफेशनल और निर्देशित होते हैं।
- द्वितीयक समूह प्राथमिक समूह से कैसे भिन्न होता है? प्राथमिक समूह की तुलना में, द्वितीयक समूह में भावनात्मक बंधन कमजोर होते हैं, सदस्यों की अधिकांशता होती है, और यह व्यक्तिगत संबंधों की बजाय विशेष कार्यों या उद्देश्यों पर केंद्रित होता है।
- द्वितीयक समूहों के कुछ उदाहरण क्या हैं? द्वितीयक समूहों के उदाहरण में पेशेवर संघ, शिक्षण संस्थान, कार्यसमूह और सामाजिक क्लब शामिल होते हैं।
- द्वितीयक समूह का प्राथमिक कार्य क्या होता है? द्वितीयक समूह का प्राथमिक कार्य विशेष कार्यों को पूरा करना, सामान्य उद्देश्यों को प्राप्त करना और साधनीय उद्देश्यों की सेवा करना होता है।
- द्वितीयक समूह व्यक्तियों को कैसे प्रभावित करता है? द्वितीयक समूह व्यक्तियों को नियमित नियमों, अपेक्षाओं, और विशेषित भूमिकाओं के माध्यम से प्रभावित करता है। यह सीखने, कौशल विकास, और विभिन्न दृष्टिकोणों का परिचय प्रदान करता है।